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शोभना बचपन से ही नटखट स्वभाव की थी.किन्तु वह अपने स्वभाव को सभी के सामने जाहिर नही करती थी.

वह बच्चों के सँग बच्ची और बड़ों के सङ्ग बड़ी बन जाती थी और कभी बेवज़ह ही शांत होकर एक कोना पकड़कर बैठ जाती थी.

वह बहुत जल्दी क्रोधित भी हो जाती थी.मगर उसमे एक ख़ास बात भी थी कि उसे गलत बात बिल्कुल पसँद नही थी. वह हर माहौल में ढल तो जाती थी, लेकिन उसे व उसके स्वभाव को समझने वाला कोई नही था.

शोभना बहुत ही जज्बाती और संवेदनशील लड़की थी. वह दूसरे के दुख को अपना समझकर कभी   स्वयं ही हैरान परेशान हो जाती थी.

शोभना बी०ए० प्रथम वर्ष की छात्रा थी जो कि पढ़ने में बहुत ही होशियार थी.इसलिए कॉलेज के सभी लड़के उस पर जान छिड़कते थे परंतु शोभना किसी को तनिक भी अपने करीब  फटकने नही देती थी.

उसकी सभी सहेलियां उससे इसलिये चिढ़ती भी थी. इसमें क्या है जो मुझमें नही  है. धीर- धीरे समय गुजर रहा था कि शोभना का जीवन ही अगले दिशा में बदल गई.

शोभना रोजाना की भाँति उस दिन भी कॉलेज जा रही थी, जिस दिन उसका जन्मदिन था.

घर के सभी लोग उसे उस दिन मना कर रहे थे कि शोभू आज कॉलेज मत जा, आज हम सबलोग तेरे बर्थडे पर कुछ स्पेशल करेंगे. फिर भी वह नही मानी. क्योंकि उसे अपने दोस्तों को पार्टी देनी थी, इसलिए शोभना खुशी खुशी कॉलेज जा रही थी वह अपने जन्मदिन को बहुत ही अधिक मान देती थी. वह उस दिन पीले रँग की फ़्रॉक सूट और पीले रंग की एक हाथ मे चूड़ी व दूसरे हाथ मे घड़ी पहनी हुई थी. और माथे पर एक छोटी सी काली बिंदी लगाई थी जिसे वह रोज लगाती है.

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