मुझे न जाने क्या हो जाता है. मैं मन ही मन कविता की खूबसूरती से ईर्ष्या करती हूं. हालांकि मैं और कविता आपस में अच्छी दोस्त हैं, हमारे पतियों की भी आपस में बनती है और बच्चों की भी आपस में दोस्ती है. हम लोग जहां भी जाते हैं साथ जाते हैं. मेरा और कविता का परिचय विवाह पूर्व का है. हम दोनों शहर के एक ही महल्ले की हैं. हम दोनों ही युवतियां महल्ले के मनचले युवकों की धड़कनें हुआ करती थीं. लोगों को यह बता पाना मुश्किल था कि हम दोनों में से कौन अधिक सुंदर है.
संयोग देखिए हम लोगों का विवाह भी एक ही साथ एक ही शहर में यहां तक कि एक ही महल्ले में हुआ. तारीख भी एक ही. बस, महीने में फर्क था. मेरी शादी जनवरी में हुई तो कविता की फरवरी में.
शादी के बाद महल्ले वालों को भी यह बता पाना मुश्किल था कि कौन बहू ज्यादा सुंदर है. आज हम लोगों की शादी हुए 15 साल हो गए हैं. हम दोनों के ही 3-3 बच्चे हैं पर इस समय के अंतराल ने जहां मुझ में काफी परिवर्तन ला दिया है वहीं कविता के यौवन और सौंदर्य को मानों समय से कोई मतलब ही न हो. कैसे संभाल रखा है उन्होंने अपनी इस खूबसूरती को, कुछ समझ में नहींआता है. और उन के पति योगेश आज भी उन के उतने ही दीवाने हैं जितने 15 साल पहले थे. उन का अपना खुद का अच्छाखासा बिजनैस है पर औफिस जाने तक वे अपना पूरा समय कविता के साथ ही व्यतीत करते. औफिस से भी 2 बार फोन अवश्य करते. जब तक उन का फोन नहीं आता कविता लंच नहीं लेती और फिर औफिस से आने के बाद तो दोनों की जोड़ी हर समय साथ ही दिखाई देती.