लेखक- मीनू त्रिपाठी
फिर वह नीलांजना के पास आ कर बोला, ‘‘तुम यहां कैसे? मतलब यहां किसलिए?’’
अर्णव के हैरानपरेशान चेहरे को देख नीलांजना की हंसी छूटने लगी. वह कुछ समझता उस से पहले ही धु्रव अर्णव के कंधे पर हाथ रखते हुए नीलांजना से बोला, ‘‘यह मेरा साला यानी अदिति का भाई है और अर्णव यह मेरी कजिन.’’
‘‘ओह नो...’’
‘‘अर्णव के हावभाव देख कर आदिति सहसा बोली, ‘‘नीलांजना यह तुम लाई हो... क्या तुम ही इस की....’’
‘‘हां भाभी मैं ही इस की ऐक्स गर्लफ्रैंड हूं... सौरी भाभी, प्रोग्राम तो अर्णव को परेशान करने का था, पर आप गेहूं के साथ घुन सी पिस गईं.’’
‘‘ओहो नीलांजना, बस अब बहुत हुआ... तेरे और अर्णव के चक्कर में मेरी प्यारी बीवी परेशान हो रही है. बस अब खोल दे सस्पैंस,’’ धु्रव ने कहा.
नीलांजना अर्णव और अदिति की बेचारी सी सूरत देख अपनी हंसी रोकते हुए बोली, ‘‘हुआ यों कि जब आप का और धु्रव भैया का फोटो सोशल साइट पर वायरल हुआ था तब मुझे इस टैडी को देख कर कुछ शक हुआ था, क्योंकि इस टैडीबियर को मैं ने अपने हाथ से बनाया था, इसलिए आसानी से पहचान लिया. और तो और इस के गले में मेरा वही रैड स्कार्फ बंधा था जो अर्णव को बहुत पसंद था. पोल्का डौट वाला रैड स्कार्फ... याद है अर्णव तुम उस स्कार्फ में देख कर मुझ पर कैसे लट्टू हो जाते थे,’’ कह वह जोर से हंसी तो अर्णव का चेहरा शर्म से लाल हो गया.
अर्णव किसी तरह अपनी झेंप मिटाते हुए बोला, ‘‘दीदी, कम से कम स्कार्फ तो हटा देतीं.’’