उस के बाद तो वह सिलसिला सा बन गया और इस बात का विवान को कोई मलाल भी नहीं था. उधर शादी के बाद सभी लोग अपनेअपने घर चले गए. शैली भी अपने घर आने का सोचने लगी पर हैरानी उसे इस बात की हो रही थी कि उसे यहां आए महीना हो चला है,
इस के बावजूद न तो विवान ने उसे एक बार भी फोन किया और न ही फिर पलट कर आया... लेकिन जाएगा कहां... क्या मेरे बिना रह पाएगा? अपने गुमान में फूलती शैली ने अपनेआप से कहा.
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उस का विवान अब पहले वाला विवान नहीं रहा जो उस के आगेपीछे पागल प्रेमी की तरह मंडराता फिरता था. उन्हीं खयालों में खोई शैली को भान नहीं
रहा कि उस ने चूल्हे पर दूध चढ़ाया है. लेकिन चौंकी तो तब जब उस की बहन स्वीटी ने तेज स्वर में कहा, ‘‘अरे, कहां है तुम्हारा ध्यान? देख तो दूध उफन रहा है,’’ कह उस ने झट से आंच बंद कर दी.
‘‘उफ, आप ने बचा लिया दीदी वरना आज सारा दूध बरबाद हो जाता.’’
‘‘सही कहा तुम ने, पर दूध तो दोबारा आ सकता है, पर जिंदगी बरबाद हो जाए तो क्या दोबारा संवारा जा सकता है?’’
स्वीटी की बात पर शैली ने उसे अचकचा कर देखा.
‘‘शायद तुम्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि तुम ने विवान को कितनी चोट पहुंचाई है. ऐसा क्या कर दिया उस ने जो तुम ने उस के साथ इतना खराब व्यवहार किया? यह भी नहीं सोचा कि घर में इतने सारे मेहमान हैं तो वह क्या सोचेंगे विवान के बारे में?