मेरीसहेली कविता की शादी की पहली सालगिरह की पार्टी में जाने के लिए रवि का देर से घर पहुंचना मेरा मूड बहुत खराब कर गया था.
घर में कदम रखते ही उन्होंने सफाई देनी शुरू कर दी, ‘‘बौस ने अचानक मीटिंग बुला ली थी और उस गुस्सैल से जल्दी जाने की रिक्वैस्ट करने का मेरा दिल नहीं किया. आईएम सौरी डार्लिंग.’’
‘‘मैं कुछ कह रही हूं क्या जो माफी मांग रहे हो?’’ मैं नाराजगी भरे अंदाज में उठ कर रसोई की तरफ चल दी.
उन्होंने सामने आ कर मु?ो रोका और मनाने वाले लहजे में बोले, ‘‘अब गुस्सा थूक कर मुसकरा भी दो, स्वीटहार्ट. मैं फटाफट तैयार होता हूं और हम 15 मिनट में निकल चलेंगे.’’
‘‘मु?ो इतनी देर से पार्टी में नहीं जाना है.’’
‘‘प्लीज, अब मूड ठीक कर भी लो, यार. मैं औफिस में चल रही घटिया पौलीटिक्स के कारण वैसे ही परेशान चल रहा हूं और अगर ऊपर से घर में भी टैंशन बनी रहेगी, तो मैं पक्का बीमार पड़ जाऊंगा.’’
यह बात ठीक है कि आजकल उन के अपने बौस से संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं और इस कारण नौकरी बदलने की नौबत तक आ सकती है. उन की परेशानी न बढ़ाने की खातिर मैं ने बात को लंबा नहीं खींचा और बोली, ‘‘औफिस की चिंता करने के साथसाथ कभीकभी मेरी खुशियों का भी खयाल रखा करो.’’
‘‘मैं रखता हूं, पर...’’
‘‘अब ?ाठेसच्चे बहाने बना कर समय बरबाद करने के बजाय जल्दी से तैयार हो जाओ,’’ अपने गुस्से को भुलाकर मैं मुसकराई, तो उन्होंने प्रसन्नता दर्शाते हुए मेरा माथा चूम लिया.
कुछ देर बाद बैंकेट हौल में कदम रखते ही मैं सारे गिलेशिकवे भूल कर पार्टी का मजा लेने लगी. कोविड के बाद यह पहली बड़ी पार्टी थी जिस में हम लोग शामिल हुए थे और मैं उस के पलपल को जी लेना चाहती थी. जो जानकार थे, उन से हंसीखुशी के साथ मिली. बड़े उत्साह से अपनी मनपसंद चीजें खाने की इच्छा जाहिर कर मैं ने उन से खूब भागदौड़ कराई.