फिल्मों में बरसात में झीने कपड़ों में भीगती, इठलाती, हीरो के साथ नाचतीगाती हीरोइन को देख कर हमारी श्रीमतीजी मचल उठती हैं और हमें भी मचलने को मजबूर कर देती हैं. यों तो हमारी श्रीमतीजी बहुत रंगीली हैं, लेकिन खासतौर पर जब मौसम हरियाला, बरसाती और रंगीला हो तब उन का रोमांटिक होना और भी बढ़ जाता है.

एक बार बरसात की रात को हमारी श्रीमतीजी मचल उठीं और हमें नींद से उठाते हुए बोलीं, ‘‘सुनो जी, मौसम में बहार है, मुझे तुम से प्यार है.’’

हम ने उनींदे स्वर में कहा, ‘‘तो?’’

श्रीमतीजी ने कहा, ‘‘ऐसे मौसम में भला किस को नींद आती है?’’

हम ने कहा, ‘‘कल औफिस जाना है, बहुत सारे काम निबटाने हैं.’’

श्रीमतीजी ने रोमांटिक होते हुए कहा, ‘‘कभी तो लिया करो, पिया प्यार का नाम.’’

हम ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा, ‘‘प्यार से पेट तो भरता नहीं.’’

श्रीमतीजी ने इठलाते हुए कहा, ‘‘काम तो जिंदगी भर का है, पर ऐसा मौसम बारबार नहीं आता.’’

इस बार श्रीमतीजी की रोमांटिक अदा पर हम फिसल गए और श्रीमतीजी का हाथ पकड़ कर रात को 1 बजे बरसते पानी में घर की छत पर आ गए. चारों तरफ घोर अंधकार छाया हुआ था और पूरा शहर बरसात में नहाया हुआ था.

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अब श्रीमतीजी गाना गाती जा रही थीं और हम से भी ऐक्टिंग करने को कह रही थीं. पहला गाना उन्होंने गाया :

आग लगी पानी में...

फिर

आज फिसल जाएं तो...

इस के बाद

जिंदगी भर नहीं भूलेगी ये बरसात

की रात...

हर गाने के बाद उन की आवाज तेज होती जा रही थी और वे फ्री ऐक्शन वाली होती जा रही थीं.

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