करण गौतम से बात करने के बाद फ्रेश होकर नए सिरे से इस केस के बारे में सोचने लगा, फिर उसने गीताली से मिलने का मन बनाया, वह दोबारा समर सिंह के रूम की तरफ बढ़ा, फिर इरादा बदल लिया, और यूँ ही विला में इधर से उधर टहलता रहा, दूर से उसे दिखा, कुछ सीढ़ियां, उसके दोनों तरफ हरे भरे पेड़, एक हरा भरा सा कमरा दिखा, उसके बाहर एक आदमी एक बड़े बर्तन में पानी डाल रहा था, करण तेज क़दमों से उसकी तरफ बढ़ा, वह आदमी चौंका, फिर बोला, नमस्ते, साहब, आप ही छोटी दीदी के मेहमान हो?”
“हाँ, तुम यहाँ क्या काम करते हो?”
“माली हूं.”
“कबसे?”
“दस साल हो गए, साहब.”
“क्या नाम है?”
“विजेंद्र.”
“इस कमरे में क्या है?”
विजेंद्र मुस्कुराया, देखेंगें?”
“क्या है?”
“आइये, साहब” कहकर विजेंद्र ने पानी का बर्तन उठाया, और उस जगह का दरवाजा खोल कर अंदर गया, तो करण चौंक कर पीछे हटा, यह बर्ड हाउस था! तरह तरह की रंगीन चिड़ियों से गुलजार, सब विजेंद्र को जैसे पहचानती थीं, कुछ तो उसके कंधे पर आकर बैठ गयी, करण को लगा, जैसे वह कोई सुन्दर सपना देख रहा है, चिड़ियों की चहचाहट से उस जगह में ही एक अलग सी बात थी, करण ने मन में सोचा, अमीरों के शौक!' विजेंद्र ने पानी वहां रखे एक बड़े बर्तन में उड़ेल दिया, सभी चिड़िया उस बड़े से बर्तन के चारों ओर एक बड़ा सा घेरा बनाकर बैठकर पानी पीने लगी, बहुत प्यारा दृश्य था, करण इस जगह की, और चिड़ियों के पानी पीने की फोटो लेने से खुद को रोक नहीं पाया, विजेंद्र ने कहा, अब चलें? साहब?”