‘‘इस नाम से कोई खाता नहीं है.’’ बैंक मैनेजर ने भी वही दोहराया जो क्लर्क ने कहा था. हम समझ नहीं पा रहे थे कि कुछ महीने पहले तक हम इस खाते में चैक जमा कर रहे थे और हमें वह रकम मिल भी रही थी. अब अचानक ऐसा क्या हो गया जो हमारा खाता ही गायब हो गया. हम ने बैंक मैनेजर से बारबार कहा कि हम इसी खाते में नकद और चैक जमा करते आ रहे हैं और पैसा निकालते आ रहे हैं पर वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. ‘‘मुझे और भी काम हैं,’’ कह कर उस ने हमें सम्मानपूर्वक बाहर निकल जाने को कहा.
हर जगह जानपहचान होना कितना जरूरी है, यह हमें उस दिन पता चला. जब तक मैं अपने शहर में था और मेरा मित्र उस बैंक में था तब तक कोई दिक्कत नहीं आई थी. आज क्या हो गया. मैं ने बारबार चैक देखा. मेरा सरनेम गलत लिखा था. ‘गुप्ते’ की जगह ‘गुप्ता’ लिखा था. जब तक मेरा मित्र इस बैंक में था तब तक इस गलत सरनेम की समस्या नहीं आई थी. सोचा था कि इस नए शहर में भी कोई दिक्कत नहीं होगी.
आजकल तो किसी भी शहर में बैंक से पैसा निकाल सकते हैं और जमा कर सकते हैं. इसी भरोसे पर चैक जमा कर दिया. पेइनस्लिप पर जमा करने वाले का नाम और पता लिखा होता है, इसलिए वह चैक यहां के पते पर लौट आया. हम चैक ले कर बैंक पहुंचे. जांच करने पर हकीकत का पता चला. अब क्या हो? शहर अनजाना, ऐसे में पैसे की जरूरत आन पड़ी. रुपए निकालने गया तो पता चला कि अपना अस्तित्व ही खो गया. एक माह पहले लेखन पारिश्रमिक का चैक जमा करवाया था.