तुममुझ से क्या चाहते हो प्रेम?’’ मधु ने प्रेम से पूछा.
‘‘तुम्हारा साथ और क्या.’’
मधु ने आशंका भरी निगाहों से प्रेम को देखा, ‘‘तुम्हारी मां मुझे स्वीकार लेंगी?’’
‘‘तुम मेरी मां को नहीं जानतीं, मेरी खुशी में ही मेरी मां की खुशी है. लेकिन तुम मेरा साथ दोगी न?’’ प्रेम ने मधु को आशंका भरी निगाहों से देखा.
‘‘मरते दम तक.’’
मधु के इस उत्तर ने प्रेम के हृदय से असमंजस के कुहरे को हटा दिया. तभी दूर से गुजरती इंटरसिटी ऐक्सप्रैस की आवाज ने दोनों की तंद्रा को भंग कर दिया. आमगांव एक छोटा सा कसबा था. वहीं इन दोनों का घर आसपास ही था. परंतु दोनों के परिवारों में ज्यादा बोलचाल नहीं थी, क्योंकि दोनों परिवारों के रहनसहन और परिवेश में अंतर था. मधु अपने चाचा के पास रहती थी. चाचाचाची ने उसे अपनी बेटी की तरह पाला था. प्रेम के पिता नहीं थे. बूढ़ी मां थी. पुरखों का बनाया हुआ एक घर था और साथ में लगा हुआ एक छोटा सा खेत. पढ़ाई पूरी करते ही प्रेम को कसबे के अन्य लड़कों की तरह पास के शहर में जौब करने का चसका लग गया था. मां ने लाख कहा कि बेटे अपने खेत में हाथ बंटाओ, घर में सोना बरसेगा पर प्रेम को तो शहर की हवा लग गई थी.
प्रेम सुबह की शटल से शहर निकल जाता और शाम की इंटरसिटी ऐक्सप्रैस से घर आता. साफसुथरे कपड़ों में बेटे को शहर जाने को तैयार होता देख मां संतोष कर लेतीं कि चलो लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो गया है. लेकिन अपने सूने खेत को देख कर उन की आंखें भर आतीं. एक दिन सुबह पड़ोस की मधु को रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ा देख कर प्रेम को सुखद आश्चर्य हुआ. पर उस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मधु से कुछ पूछे. फिर भी उस से रहा नहीं गया तो उस ने पूछ ही लिया, ‘‘जाना कहां है आप को?’’ जवाब में मधु का ठहरा हुआ उत्तर सुन कर प्रेम ने कहा, ‘‘फिर तो आप गलत साइड में खड़ी हैं, जहां आप को जाना है वहां के लिए आप को औटो रोड के दूसरी तरफ से मिलेगा.’’ एक दिन लौटते वक्त प्रेम कुछ ज्यादा ही लेट हो गया था. इंटरसिटी ऐक्सप्रैस का अनाउंसमैंट काफी दूर से ही सुनाई दे रहा था. प्रेम हड़बड़ाहट में बस से उतरा और टिकट काउंटर की ओर दौड़ा. वहां मधु को देखते ही उस के पैर रुक गए. मधु ने बताया कि उस ने दोनों के टिकट ले लिए हैं. ट्रेन ने हलकी स्पीड पकड़ ली थी, लेकिन दोनों हिम्मत कर के ट्रेन में चढ़ गए. गेट के पास खड़े दोनों के लिए यह एक नया अनुभव था. मधु ने बताया कि वह शहर के कालेज में पढ़ाई कर रही है.