पिछला भाग पढ़ने के लिए- लंबी कहानी: न जानें क्यों भाग-4
मानसी को हैरानी हो रही थी कि भाभी ने खुद एक मां होने के बावजूद कितनी आसानी से मुसकान को उस से दूर करने की बात कह दी.
उस दिन रौकी और रौनी के झूठ बोलने पर कि मानसी ने उन पर हाथ उठाया है, उन का दिल तड़प उठा था. लेकिन आज वह मानसी से उस की बच्ची को दूर कर देना चाहती थीं. तलाक और दूसरी शादी की बात सुन कर उसे यह एहसास हुआ कि वह आज भी राघव से बहुत प्यार करती है. उसे भाभी के साथसाथ राघव पर भी गुस्सा आ रहा था. क्या वह जिद छोड़ कर उसे लेने नहीं आ सकता था. मानसी फूटफूट कर रो पड़ी.
जैसाकि मानसी को अंदेशा था, शालिनी ने नीरज को फोन कर के घर आने के लिए कह दिया था. नीरज के घर आने पर शालिनी ने सारा घर सिर पर उठा लिया. नीरज ने नौकर को भेज कर मानसी को बाहर बुलवा लिया. मानसी चुपचाप एक कोने में जा कर खड़ी हो गई. उसे यकीन था कि भैया उस की बात जरूर समझेंगे. शोरशराबा सुन कर मां भी वहां आ गई थीं.
‘‘आप को अंदाजा नहीं है नीरज, आज आप की बहन ने मेरी और मेरे भाई की कितनी बेइज्जती की है. इस की वजह से मुझे अपने भाई के सामने कितना शर्मिंदा होना पड़ा,’’ मानसी ने टेढ़ी नजर से मानसी को देखते हुए कहा.
‘‘तुम्हारी भाभी क्या कह रही हैं मानसी?’’ नीरज ने मानसी से सवाल किया.
‘‘ऐसा कुछ नहीं हुआ था भैया. भाभी मेरा तलाक करवा कर मेरी शादी अपने भाई कौशिक से करवाना चाहती हैं. मैं ने इनकार कर दिया तो इन्हें बुरा लग गया. ये तो मुसकान को भी मुझ से दूर करने की बात कह रही थीं,’’ मानसी ने अपना पक्ष रखा.