कहानी- निशा चड्ढा
‘‘आज फिर कालेज में सेजल के साथ थी?’’ मां ने तीखी आवाज में निधि से पूछा.
‘‘ओ हो, मां, एक ही क्लास में तो हैं, बातचीत तो हो ही जाती है, अच्छी लड़की है.’’
‘‘बसबस,’’ मां ने वहीं टोक दिया, ‘‘मैं सब जानती हूं कितनी अच्छी है. कल भी एक लड़का उसे घर छोड़ने आया था, उस की मां भी उस लड़के से हंसहंस के बातें कर रही थी.’’
‘‘तो क्या हुआ?’’ निधि बोली.
‘‘अब तू हमें सिखाएगी सही क्या है?’’ मां गुस्से से बोलीं, ’’घर वालों ने इतनी छूट दे रखी है, एक दिन सिर पकड़ कर रोएंगे.’’
निधि चुपचाप अपने कमरे में चली गई. मां से बहस करने का मतलब था घर में छोटेमोटे तूफान का आना. पिताजी के आने का समय भी हो गया था. निधि ने चुप रहना ही ठीक समझा.
सेजल हमारी कालोनी में रहती है. स्मार्ट और कौन्फिडैंट.
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‘‘मुझे तो अच्छी लगती है, पता नहीं मां उस के पीछे क्यों पड़ी रहती हैं,’’ निधि अपनी छोटी बहन निकिता से धीरेधीरे बात कर रही थी. परीक्षाएं सिर पर थीं. सब पढ़ाई में व्यस्त हो गए. कुछ दिनों के लिए सेजल का टौपिक भी बंद हुआ.
घरवालों द्वारा निधि के लिए लड़के की तलाश भी शुरू हो गई थी पर किसी न किसी वजह से बात बन नहीं पा रही थी. वक्त अपनी गति से चलता रहा, रिजल्ट का दिन भी आ गया. निधि 90 प्रतिशत लाई थी. घर में सब खुश थे. निधि के मातापिता सुबह की सैर करते हुए लोगों से बधाइयां बटोर रहे थे.
‘‘मैं ने कहा था न सेजल का ध्यान पढ़ाई में नहीं है, सिर्फ 70 प्रतिशत लाई है,’’ निधि की मां निधि के पापा को बता रही थीं. निधि के मन में आया कि कह दे ‘मां, 70 प्रतिशत भी अच्छे नंबर हैं’ पर फिर कुछ सोच कर चुप रही.