लेखिका- सावित्री रानी
2020का मार्च का महीना था. मौसम काफी सुहाना था. गुरुग्राम में अपने अपार्टमैंट के शानदार शयनकक्ष में तपेश आराम से सो रहा था. तभी उस के फोन की घंटी बजी. नींद में ही जरा सी आंख खोल कर उस ने टाइम देखा. रात के 2 बज रहे थे.
‘‘इस वक्त किस का फोन आ गया यार,’’ वह बड़बड़ाया और हाथ बढ़ा कर साइड टेबल से फोन उठाया. बोला, ‘‘हैलो.’’
‘‘जी क्या आप तपेश बोल रहे हैं?’’
‘‘जी, तपेश बोल रहा हूं. आप कौन?’’
‘‘सर मैं मेदांता अस्पताल से बोल रहा हूं. क्या आप पीयूष को जानते हैं? आप का नंबर हमें उन के इमरजैंसी कौंटैक्ट से मिला है.’’
‘‘जी, पीयूष मेरा दोस्त है. क्या हुआ उस को?’’ बैड से उठते हुए तपेश घबरा कर बोला.
‘‘तपेशजी आप के दोस्त को हार्टअटैक हुआ है.’’
‘‘उफ... कैसा है वह?’’
‘‘वह अभी ठीक है. स्थिति कंट्रोल में है.’’
‘‘मैं अभी आता हूं.’’
‘‘नहीं, अभी आने की जरूरत नहीं है. हम ने उसे नींद का इंजैक्शन दिया है. वह सुबह से पहले नहीं उठेगा, तो आप सुबह 11 बजे आ जाना. उस वक्त तक डाक्टर भी आ जाएंगे. आप की उन से भी बात हो जाएगी.’’
‘‘ठीक है,’’ कह कर तपेश ने फोन रख दिया और बैड पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर जा चुकी थी. उस का मन बेचैन हो गया था. बराबर में चैन से सोती हुई शालू को जगाने का भी उस का मन नहीं हुआ.
वह आंखें बंद कर के एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन नींद की जगह उस की आंखों में आ बसे थे 20 साल पुराने यूनिवर्सिटी के वे दिन जब तपेश रुड़की यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग करने गया था.