‘‘हैलो,एम आई टौकिंग टु मिस्टर मृणाल?’’ एक मीठी सी आवाज ने मृणाल के कानों में जैसे रस घोल दिया.
‘‘यस स्पीकिंग,’’ मृणाल ने भी उतनी ही विनम्रता से जवाब दिया.
‘‘सर, दिस इज निशा फ्रौम होटल सन स्टार... वी फाउंड वालेट हैविंग सम मनी,
एटीएम कार्ड ऐंड अदर इंपौर्टैंट कार्ड्स विद
योर आईडैंटिटी इन अवर कौन्फ्रैंस हौल. यू
आर रिक्वैस्टेड टु कलैक्ट इट फ्रौम रिसैप्शन,
थैंक यू.’’
सुनते ही मृणाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वह कल अपनी कंपनी की तरफ से एक सेमिनार अटैंड करने इस होटल में गया था. आज सुबह से ही अपने पर्स को ढूंढ़ढूंढ़ कर परेशान हो चुका था. निशा की इस कौल ने उस के चेहरे पर सुकून भरी मुसकान ला दी.
‘‘थैंक यू सो मच निशाजी...’’ मृणाल ने कहा, मगर शायद निशा ने सुना नहीं, क्योंकि फोन कट चुका था. लंच टाइम में मृणाल होटल सन स्टार के सामने था. रिसैप्शन पर बैठी खूबसूरत लड़की को देखते ही उस के चेहरे पर एक बार फिर मुसकान आ गई.
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‘‘ऐक्सक्यूज मी, माइसैल्फ मृणाल... आप शायद निशाजी हैं...’’ मृणाल ने कहा तो निशा ने आंखें उठा कर देखा.
‘‘ओ या...’’ कहते हुए निशा ने काउंटर के नीचे से मृणाल का पर्स निकाल कर उस का फोटो देखा. तसल्ली करने के बाद मुसकराते हुए उसे सौंप दिया.
‘‘थैंक्स अगेन निशाजी... इफ यू डोंटमाइंड, कैन वी हैव ए कप औफ कौफी प्लीज...’’ मृणाल निशा का यह एहसान उतारना चाह रहा था.
‘‘सौरी, इट्स ड्यूटी टाइम... कैच यू लेटर,’’ कहते हुए निशा ने जैसे मृणाल को भविष्य की संभावना का हिंट दे दिया.