प्रकृति की अद्भुत देन नर और मादा न होते तो इस संसार का विकल्प कुछ और ही होता. स्त्रीपुरुष की देन के साथ कितना कुछ जुड़ा है- दिमाग की सोचविचार, भाषा, भंगिमा, प्रेम प्रदर्शन, दिशा, सहमति, समर्पण, उत्पत्ति, आनंद आदि. जन्मदात्री स्त्री का तो हृदय परिवर्तन ही हो जाता है जब वह अपने शरीर से उपजे नन्हे शरीर को पहली बार छूती है. पनपती है एक अनुभूति ममता.
रमा ने अपने दोनों बेटों नयन और पवन को पति के सहयोग से जो दिशा दी, उस का परिणाम सामने है. बड़ा बेटा नयन सेना में है. फिलहाल असम में तैनात है. छोटा बेटा पवन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर विदेश में नौकरी करने के लिए जाने की तैयारी में है.
पिता दोनों को देखते हैं तो गर्व से फूले नहीं समाते, अपने जवान बेटों पर. और अब तो एक और खुशखबरी है, बिग्रेडियर बक्शी की बेटी संजना का नयन से शादी का प्रस्ताव. न कहने की कोई गुंजाइश नहीं. दोनों ओर से हां होते ही रस्मोरिवाज, लेनदेन का सिलसिला चलता रहा. शादी 6 महीने बाद होनी तय हुई.
नयन की शादी घर की पहली शादी थी, सो वे पतिपत्नी तैयारी की योजना में लग गए, होने वाली बहू के लिए गहनेकपड़ों के अलावा देनेलेने के लिए गिफ्ट्स, अतिथियों की लिस्ट, बाजेगाजे, पार्टी का प्रबंध आदि.
अचानक काला साया एक रात नयन के पिता को ले चला. औफिस से थोड़ा पहले घर आ, रमा को थोड़ा थका बता, आराम करने लेटे. जबरदस्ती चाय के साथ हलका नाश्ता करा रमा उन के माथे पर हलका स्पर्श दे, सहलाती रही जब तक वे सो नहीं गए. कंधे तक चादर ओढ़ा, थोड़ी देर उन के पास बैठी रही, फिर शाम का खाना बनाने के लिए उठ गई. दोनों बेटे भी घर आ कर पिता के आराम में बाधा न डालने की सोच, दबेपांव जा उन्हें सोता देख लौट आए.