संजना के मायके वाले उसे डिलीवरी के लिए अपने पास रखना चाहते थे. पर नयन यह कह कर कि उसे यहां हर तरह का आराम है और फिर मां भी गोदभराई की रस्म के लिए आएंगी, तो रुकेंगी, उस का जाना टाल दिया. सब ठीक रहा और संजना ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. सब ओर से बधाई का आदानप्रदान हुआ. चाचा पवन को नई पदवी की विशेष बधाई मिली. बच्चे के 4 महीने के होते ही मां असम से लौट आईं, नयन स्वयं छोड़ने आया.
‘यह कैसे हो गया, कहां गलती हुई, क्यों नहीं ध्यान दिया?’ ऐनी यह सब सोचते हुए परेशान थी. वह प्रैग्नैंट थी. ‘नहीं, वह झंझट नहीं ले सकती, उसे नौकरी करनी है.’ सब आगापीछा सोचते हुए पवन से अबौर्शन की जिद करने लगी. पवन थोड़ा तो परेशान हुआ पर तसल्ली दी कि वह पूरी तरह से सहयोग करेगा ऐनी व बच्चे का ध्यान रखने में.
ऐनी की मां अब अपनी छोटी बेटी के पास स्कौटलैंड में रहती थी. समय पर मां को बुलाने पर बात अटकी तो पवन ने कहा, ‘देखेंगे.’ पहले वाले लड़के ने मां के कारण ही ऐनी से किनारा किया था और अब वह वही मुसीबत मोल ले ले, नहीं. ऐनी को यह मंजूर न था.
अपनी गर्भावस्था के दौरान ऐनी स्वस्थ व चुस्त रही और काम पर जाती रही. बस, डिलीवरी होने से पहले 3 दिन ही घर पर रही थी और 9 महीने पूरे होते ही उस ने सुंदर, स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. उस के गोल्डन, ब्राउन, घुंघराले बालों को देखते ही चहकी, ‘‘यह तो अपने नाना जैसा है.’’ अपने पिता की याद में उस की आंखें भर आईं. वे दोनों बहनें छोटी ही थीं जब उस के पिता का कार दुर्घटना में निधन हो गया था और पिता के काम की जगह ही मां को काम दे दिया गया था.