कुछदिन पहले कामकाजी महिलाओं पर एक सर्वे पढ़ने के बाद से अर्चना के मस्तिष्क में विचारों के घंटे टनटनाने लगे. उन्हें लगा कि उन की एमबीए डिगरी भी उन्होंने कौरपौडैंस कोर्स से ली थी और फाइलों में कुछ कर दिखाने को बेचैन हैं. सर्वे पढ़ने के बाद वे कई दिन तक बड़ी अन्यमनस्क सी रहीं.
1-2 दिन तो मैं ने कुछ गौर नहीं किया. आखिर हमारी शादी को अभी 4 साल ही हुए थे. मैं वैसे भी जरा कम उल?ाता था क्योंकि उन की ऊंची जाति का कहना कई दफा हमारे प्रेम विवाह में बहस का मुद्दा बन चुका था. तीसरे दिन मु?ा से न रहा गया. मैं उन से उन के खोएखोए रहने का कारण पूछ ही बैठा.
वे जैसे इस के इंतजार में ही थीं, बिफर पड़ीं, ‘‘देखो प्रेम, मैं ने एमबीए पास किया और फिर भी घर पर बैठ कर 2 साल से कुछ खास काम नहीं किया है. कई बार तो जी में आता कि एक बीए की डिगरी को भी आग में जला दूं... वह अच्छी नौकरियों पर आईआईएस वाले कब्जा किए बैठे हैं.’’
मैं ने जवाब दिया, ‘‘जरूर करो पर जरा पहले अपना कंप्यूटर ज्ञान तो सुधार लीजिए. आजकल आप व्हाट्सऐप फौरवर्ड कर के और यूट्यूब देखदेख कर सब भूल चुकी हैं. नौकरी तो खैर कोई न कोई मिल ही जाएगी पर यह तो बताइए कि आप का ईमेल पढ़ा भला कोई और पढ़ सकता है. यानी जहां आप का ईमेल जाएगा वहां आप को भी जाना होगा क्योंकि औटो की करैक्ट के बाद भी क्या गारंटी है कि आप भी स्वयं अपना लिखा कुछ सम?ा लें.