गाड़ी के अचानक ब्रेक लगने से शिखा का ध्यान बाहर गया तो उस ने देखा कि सिगनल पर बहुत भीड़ जमा थी. उसे मीटिंग में जाने के लिए देर हो रही थी. उस ने ड्राइवर से उतर कर देखने को कहा तो ड्राइवर ने बताया कि कोई 14-15 साल का लड़का है. सडक पर बेहोश पड़ा है. शायद किसी गाड़ी ने उसे टक्कर मारी है.’’
शिखा ने कहा, ‘‘उसे अस्पताल ले जाना चाहिए.’’
ड्राइवर हंसा और बोला, ‘‘अरे मैडम लगता है आप मुंबई में नई आई हैं, इसलिए ऐसा कह रही हैं.’’
यहां हर टै्रफिक सिगनल की यही कहानी है. गलती इन बच्चों के मांबाप की है जो छोटी सी उम्र में इन्हें काम पर लगा कर छोड़ देते हैं. चलिए, मैं आप को दूसरे रास्ते से पहुंचा देता हूं.’’
शिखा ने कहा, ‘‘नहीं रुको.’’
वह गाडी से उतरी और उस ने भीड़ में खड़े लोगों से चिल्लाते हुए कहा, ‘‘इस बच्चे की जगह अगर आप में से किसी का बच्चा होता तब भी आप लोग ऐसे ही खड़े हो कर तमाशा देखते? चलिए हटिए सब यहां से.’’
शिखा ने ड्राइवर से कहा, ‘‘बच्चे को उठा कर गाड़ी में लिटा दो और जल्दी से किसी अस्पताल ले चलो,’’ फिर उस ने फोन कर के अपनी मीटिंग कैंसिल कर दी थी.’’
अस्पताल में डाक्टर ने उस बच्चे का चैकअप किया और शिखा से
कहा, ‘‘अच्छा हुआ आप इसे समय पर यहां ले आईं. सिर पर चोट लगी है. इसे यहां लाने मैं थोड़ी देर और होती तो खतरा हो सकता था. अब डरने की बात नहीं है. थोड़ी देर बाद इसे होश आ जाएगा, फिर यह घर जा सकता है.’’