चाय बन रही थी. चाय पी कर हम उधना स्वास्थ्य केंद्र गए जहां से हमें किधर जाना है, इस बात के आदेश मिलने थे.
वहां हमें निर्देश मिले कि हमें फलां जगह जाना है और एंबुलैंस में ही सब की जांच कर के दवा देनी है और कोई गंभीर हो तो उसे यहां लाना है. हमें आज सूरत की सब से मशहूर जगह पार्ले पौइंट मिली. वह वीआईपी जगह थी. हमें यहां ज्यादा मरीज मिलने की आशा नहीं थी. बाहर आ कर हम ने स्थानीय व्यक्ति से जगह पूछी. वहीं पर हमें आज का ही अखबार भी मिला, यह हमारे लिए खुशी की बात थी. मैं ने 2-3 तरह के अखबार ले लिए जिस से स्थानीय जानकारी ज्यादा मिल सके और यदि काम नहीं हो तो समय भी कट जाए. अखबार पर थोड़ी नजर रास्ते में ही डाल ली. काफी भयावह दृश्य थे. कुछ हादसों की तसवीरें भी थीं और हमेशा की तरह सरकारी तंत्र पर दोषारोपण भी थे.
ेहमारा पहला पड़ाव नजदीक ही था, पर पानी भरा होने व ड्राइवर को रास्ता पता न होने के कारण थोड़ा समय लगा. यह स्थल पानी में डूबा हुआ था और पानी तेज धार के साथ बह भी रहा था. मेरे कहने पर ड्राइवर ने गाड़ी फुटपाथ पर चढ़ा दी जिस से हम मरीजों को आसानी से देख सकें, हालांकि, हमें सूरत के सब से पौश एरिया में मरीजों के आने की उम्मीद कम थी.
पहले वहां नजदीक में कोई नहीं था, पर एंबुलैंस व डाक्टर देख कर धीरेधीरे लोग आने लगे. एंबुलैंस का पीछे का दरवाजा खुला हुआ था. मैं जांच कर रहा था और मेरा स्टाफ दवाई दे रहा था. इतने दिनों की बरसात के चलते ठंड के कारण लोग बीमार पड़ गए थे. उन्हें बुखार व सर्दी थी. दूसरे, काफी मरीज ब्लडप्रैशर व मधुमेह के थे. इतने दिनों की बाढ़ के कारण उन की दवाइयां खत्म हो गई थीं. मैं उन का रक्तचाप माप कर दवाइयां दे रहा था, तो कुछ लोग एडवांस में ही बुखार व सर्दी की दवा मांग रहे थे कि कहीं बीमार पड़ गए तो काम आएगी. हम ने हंसते हुए थोड़ी दवा उन्हें भी दे दी. मैं ने गौर से देखा कि सरकारी दवा लेने वाले लगभग सभी वर्गों के थे.