सुगंध या खुशबू एक ऐसा एहसास है, जो किसी को भी आकर्षित करता है. महकता व सुगंधित घर न केवल किसी होममेकर की सुगढ़ता को दर्शाता है, बल्कि इससे उस की पसंद व स्टाइल की भी जानकारी मिलती है. कोई भी घर तभी संपूर्ण माना जाता है जब वह सही इंटीरियर के साथसाथ अच्छा महकता भी हो. क्या आप चाहेंगी कि जब कोई आप के घर में आए, तो उस का स्वागत घर की प्याजलहसुन की गंध से हो, जिस से वह आते ही नाकभौं सिकोड़े और उस का घर में बैठना दूभर हो जाए?
दरअसल, हर घर की एक अलग गंध होती है, जो अगर सुगंध है तो आने वाले को सम्मोहित कर देती है. इस से आने वाला तनावरहित व फ्रैश भी हो जाता है. लेकिन वही गंध अगर दुर्गंध हो यानी घर से प्याजलहसुन, सीलन, गीले कपड़ों वगैरह की गंध आती हो, तो आने वाला ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता. वह घर से जल्दी निकलने के लिए मजबूर हो जाता है. घर से सुगंध आए, इस के लिए घर को महकाने का चलन बहुत पहले से चला आ रहा है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि घर से आने वाली अन्य तरह की गंध को कम किया जा सके. पुराने जमाने में लोग अपने घर के बाहर रात की रानी, चमेली या रजनीगंधा के पेड़पौधे लगा देते थे ताकि घर सदा महकता रहे. लेकिन बदलते समय के साथ समय व स्पेस की कमी ने इस तरीके को थोड़ा कम कर दिया है. इसलिए लोगों ने आर्टिफिशियल सुगंध पर निर्भर होना प्रारंभ कर दिया है.