40 की उम्र निकलते ही महिलाओं में अकेलेपन की समस्या घर करने लगती है कामकाजी की अपेक्षा होममेकर महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है क्योंकि जब बच्चे छोटे होते हैं तो घर के कार्यों और बच्चों के पालन पोषण के कारण इन्हें सिर तक उठाने का अवसर नहीं मिलता परन्तु अब तक अधिकतर परिवारों में बच्चे पढने के लिए बाहर चले जाते हैं और यदि नहीं भी जाते हैं तो 18-20 की उम्र में उनकी अपनी ही दुनिया हो जाती है जिसमें वे व्यस्त रहते हैं. बच्चों की परवरिश में हरदम व्यस्त रहने वाली मां की उम्र भी अब तक 40 पार हो जाती है. पति अपने व्यवसाय या नौकरी में ही मसरूफ रहते हैं और बच्चे अपनी पढाई, दोस्तों और कैरियर में. वर्तमान समय में घरेलू कार्यों के लिए भी हर घर में मेड और मशीनें मौजूद हैं. जिससे घरेलू कार्यों में लगने वाला समय भी बहुत कम हो गया है. इन्हीं सब कारणों से जीवन के इस पड़ाव में महिलाओं के जीवन में रिक्तता आना प्रारंभ हो जाती है यदि समय रहते इस रिक्तता का इलाज नहीं किया जाता तो कई बार यह काफी गंभीर समस्या बन जाती है. घर में बच्चों के न होने से महिलाओं की व्यस्त दिनचर्या में अचानक विराम लग जाता है और कई बार तो वे स्वयं को घर का सबसे बेकार सदस्य समझने लगती हैं जिसकी किसी को भी आवश्यकता नहीं है. परंतु इस समस्या से निपटने का उपाय भी महिलाओं के स्वयं के हाथ में ही है. जैसे ही बच्चे कुछ बड़े होने लगें तो प्रत्येक महिला को यह कटु सत्य स्वीकार कर लेना चाहिए कि एक न एक दिन बच्चे अपनी दुनियां में व्यस्त हो जाएगें. जिस प्रकार कामकाजी महिलाओं को रिटायरमेंट के बाद सक्रिय रहने के लिए किसी गतिविधि में व्यस्त रहना आवश्यक है उसी प्रकार आज प्रत्येक महिला को चाहे वह कामकाजी हो या घरेलू, स्वयं को व्यस्त रखने के उपाय खोज लेने चाहिए ताकि बच्चों के बाद जीवन में आयी रिक्तता से स्वयं को दूर रखकर खुशहाल और स्वस्थ जीवन व्यतीत किया जा सके.