वैसे तो वह हमेशा मेरी सच्ची दोस्त बनती है, लेकिन पीठ पीछे लोगों से मेरी बुराई करती है. समझ नहीं आता उस की बातों पर विश्वास करूं या नहीं. सच बहुत ही अटपटा सा महसूस होता है जब आप किसी दूसरे से अपने बारे में बुराई सुनते हैं और यह बुराई आप के किसी खास दोस्त या सहकर्मी अथवा परिजन ने की हो. मनमस्तिष्क दोनों को ही काफी ठेस पहुंचती है. लेकिन ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ बातें ध्यान में रखें ताकि इन सब से निबट सकें:
सच्चाई को जानें:
सब से अहम बात यह है कि सुनीसुनाई बातों पर विश्वास न करें. सब से पहले यह जान लें कि उस बात में कितनी सचाई है. कई बार लोग अफवाह फैला देते हैं या फिर छोटी सी बात का बतंगड़ बना देते हैं. इसलिए जरूरी है कि बातों की सचाई को जाने बिना प्रतिक्रिया व्यक्त न करें, क्योंकि कई बार हमारी छोटी सी गलती हमें अपने नजदीकी लोगों से अलग कर देती है.
धोखे के संकेतों से बचें:
कई बार ऐसा होता है कि हमें कुछ ऐसे संकेत मिलते हैं, जिन से पता चलता है कि सामने वाला हमें धोखा दे रहा है, लेकिन हम उन्हें अनदेखा कर देते हैं. लेकिन जितना अधिक अवसर पीठ पीछे बुराई करने वालों को मिलेगा आप के संबंध में उतनी ही अफवाहें फैलेंगी. इस से आप की छवि और आप के कामकाज पर भी असर पड़ेगा. अत: जरूरी है कि इन संकेतों पर ध्यान दें और इन से निबटें.